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Kamika Ekadashi 2023: कब है कामिका एकादशी, शुभ मुहूर्त और पूजाविधि जानें


जयपुर: कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को कामिका एकादशी व्रत रखा जाता है।कामिका एकादशी व्रत इस बार गुरुवार 13 जुलाई को होगा। इस एकादशी व्रत में भगवान विष्णु, भगवान कृष्ण और तुलसी की पूजा की जाती है। भगवान इस व्रत से प्रसन्न होकर अपने अनुयायियों को हर इच्छा पूरी होने का वरदान देते हैं। कामिका एकादशी व्रत को मानते हैं कि पाप दूर होता है। मृत्यु के बाद उन्हें मोक्ष मिलता है। ये एकादशी भी पितृदोष से बचाता है।

kamika ekadashi 2023


कामिका एकादशी व्रत की तिथि


कामिका एकादशी शुरू होती है: 12 जुलाई को शाम 5 बजे 59 मिनट तक 12 जुलाई को


कामिका एकादशी: 13 जुलाई की शाम 6 बजे 24 मिनट पर


कामिका एकादशी व्रत का पारण करने का समय: 14 जुलाई को सुबह पांच बजे 33 मिनट से आठ बजे 18 मिनट तक रहेगा।


कामिका एकादशी व्रत की भूमिका


शास्त्रों में कहा गया है कि कामिका एकादशी चातुर्मास में होने से इस व्रत का खास महत् व है। यह सावन महीने में होने से शिव भक् तों के लिए विशिष्ट है। इस व्रत को करने से आप जाने-अनजाने में किए गए पापों से भी छुटकारा पा सकते हैं। कामिका एकादशी का व्रत रखने पर अश् वमेध यज्ञ की तरह लाभ मिलता है। कामिका एकादशी पर तुलसी के पत् ते भगवान विष्णु को देने से पितृ दोष से छुटकारा मिलता है। भक् तों की इच्छाएँ पूरी होती हैं।


यह सावन की पहली एकादशी है जब अनाज नहीं खाया जाता। व्रत में केवल पानी या दूध से बना खाना ही खाना चाहिए। माना जाता है कि भगवान की पूजा करते समय घी का दीपक लगाना लाभकारी होता है।  भीष्म पितामह ने नारद को कामिका एकादशी के बारे में पहली बार बताया था। फिर श्रीकृष्ण ने अर्जुन को यह कहानी सुनाई। इस कहानी में पितामह ने श्रावण महीने की एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा करने के लाभ बताए।



तुलसी पूजा के बिना व्रत पूरा नहीं होता:

 इस व्रत में भगवान विष्णु के साथ तुलसी भी पूजा जानी चाहिए। कामिका एकादशी पर मंजरी के साथ भगवान विष्णु को तुलसी चढ़ाना चाहिए। तुलसी भगवान विष्णु को बहुत प्रिय है। तुलसी पत्र भगवान को उतनी खुशी नहीं देता जितना सोना, चांदी या हीरे। बताया जाता है।



झाड़ोल के प्रसिद्ध चंद्रेश्वर महादेव, जिनके दर्शन करने के लिए भक्तों की भीड़ लगी है, और स्नान-दान से जुड़ी रोचक जानकारी:

 श्रावण महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी पर भगवान विष्णु को स्नान करने और दान करने का भी विधान है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर कुछ गंगाजल डालकर नहाना चाहिए। दिनभर व्रत रहने के बाद शाम को दीपक जलाना चाहिए। तिल के तेल से भगवान को दीपक लगाना चाहिए। इस प्रकार दीपक जलाने से महापुण्य मिलता है और हर प्रकार का पाप दूर होता है।



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